अनिवार्यतः यह परिकल्पना शून्य अंतर के रूप में प्रकट की जाती है और अग्रेजीशब्द, निराकरण के अतिरिक्त इस भाव का भी द्योतक है.
3.
भरते हुए शून्य अंतर में छलना खनका रही चूड़ियाँ और बढ़ाती हुई भावनाओं से मन के मध्य दूरियाँ सम्बन्धों की रीती गठरी रह रह याद दिला जाती है किस पूँजी की बातें करती थीं बचपन में बड़ी बूढ़ियाँ